पिछले 2000 वषों में हुए भयंकर महामारी पर ग्रह एवं नक्षत्र आधारित गहन ज्योतिषीय अध्ययन

By Dr. Acharya P Sanjay

राधे राधे। पिछले दो सप्ताहों के अथक प्रयास के बाद देश-विदेश खासकर जापान, इटली, यूरोप के ज्योतिष प्रेमियों की मांग पर करोना बीमारी पर कुछ लिखने का प्रयास किया हॅूं। अनुसंधान का विषय है कि कब तक यह महामारी मानव जीवन पर भारी रहने वाली हैं ? ज्योतिष के किताबों, विकिपिडिया एवं गुगल पर सर्च कर 165 से 2020 तक आये भीषण बीमारियों का मैंने अध्ययन किया। प्रथम विश्वयुद्ध 1914-1918 एवं द्वितीय विश्वयुद्ध 1944-1945 में लाखों लोगों की आकाल मृत्यु का मैंने अध्ययन किया। ज्योतिष में संक्रमण को बढ़ाने में राहु/केतु ग्रहें एवं कमजोर एवं नीच बुध ग्रह एवं शनि ग्रह के नीच एवं ऊॅच एवं मकर स्थित शनि को विशेष रूप से जिम्मेदार माना गया है। मिथुन एवं कर्क राशियों का आक्रांत/दुर्बल होना मुख्य कारण है। अतः जिनकी व्यक्तिगत कुंडली में लग्न मजबूत होना एव बचाव वाले ग्रह वृहस्पति, चंद्रमा, शुक्र एवं बुध मजबूत या ऊॅच राशि में स्थित है, राहु मददगार है, उन्हें ज्यादा डरने की आवश्कता नहीं है। यह प्रभाव सिर्फ भारत में ही नहीं, विश्व जगत में प्रभावी है। मेरे अनुसंधान में 24 मई, 2020 तक करोना का प्रभाव ज्यादा रहेगा। पर 6 अप्रैल, 2020 से 22 अप्रैल, 2020 ज्यादा बचना होगा। क्योंकि मिथुन राशि का स्वामी बुध नीच में रहेंगे। आद्र्रा नक्षत्र मिथुन राशि में ही आता है। अतः इंफेक्शन फैलाव में बुध ग्रह मददगार होंगे। अक्टुबर, 2020 तक में पूरे विश्वमें करोना का पूरा सफाया सम्भव। चूंकि राहु ग्रह 11 अक्टुवर, 2019 को ही आद्र्रा में प्रवेश किया है और यह 24 मई, 2020 तक चलेगा। खासकर आद्र्रा का राहु ग्रह का स्वभाव ही भाग-दौड़ वाला एवं ज्यादा फीलिंग/बैचेनी देगा। कोरोना पीड़ित या पीड़ित होने को इच्छुक एक जगह रूकने में भयानक पीड़ा महसूस भी करेंगे। पूरे विश्व में भाग-दौड़ तो मचा ही दिया है। इस पूरे करोना बीमारी का जड़ में मिथुन, कर्क राशियां एवं आद्र्रा नक्षत्र एवं इसके स्वामी राहु ही हैं। पुष्य नक्षत्र एवं इनके स्वामी शनि, आश्लेषा नक्षत्र एवं इसके स्वामी बुध ग्रह की अहम भूमिका है। इतिहास से जानकारी मिली है कि दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें 1348 से 1351ई एवं 1665ई, 1918-1919ई, 1909-1910ई में हुई थी। करीब एक दर्जन बड़ी महामारी एवं प्रथम एवं द्वितीय विश्वयुद्ध में मारे गये लोगों की घटनाओं में कुछ ग्रहों का सामान प्रभाव देखा गया। आद्र्रा नक्षत्र का प्रभाव हमारे शरीरमें छाती एवं गला प्रदेश ज्यादा प्रभावित माना गया है। आद्र्रा का स्वामी राहु ग्रह है और राशि स्वामी बुध है। पुष्य का स्वामी शनि, आश्लेषा का स्वामी बुध है। आद्र्रा एवं आश्लेशा का स्वभाव ही विष, विध्वंसक, संहारक, संक्रामण बढ़ानेवाला, दूसरों को फंसाने वाला, दूसरों के कारण जान आफतमें डालनेवाला एवं कफ, फेफड़ा जनित रोग बढ़ानेवाला, दूषित खून, चर्मरोग, व्रण, हार्ट बीमारी, बेमतलब भाग-दौड़, गला, सर्दी, जुकाम एवं बहरेपन की शिकायत आम है। आदि काल में भी हुए सभी बीमारियों कमोवेश इसी से जुड़ा है। जैसे चेचक, प्लेग, फलू एवं श्वसन संबंधी बीमारी इन्हीं नक्षत्रों एवं ग्रहों से जुड़ा हुआ है। ऐसा भी कहा जाता है कि आद्र्रा नक्षत्र में ही भगवान शिव नें समुद्र मंथन के समय विष-पान किया था। इसीलिए आद्र्रा नक्षत्र में जब भी राहु, शनि, केतु ग्रह भ्रमण करेंगे तो तांडव जैसा माहौल पैदा होंगा। क्योंकि जो मानव राक्षस जैसा व्यवहार अपने जीवन में बना कर रखा है, या शरीर को अनुशासन में नहीं रखा है, या सिर्फ भौतिक वादी बनकर मानव रहने में आनंदित हैं अर्थात् पैसा, सेक्स, पावर, अहम् पालने वाले, खाने-पीने में मांसाहार खासकर उड़ने वाले पक्षियों (चमगादड़, मूर्गा, समुद्री पक्षियां) को खाने वाला एवं राक्षसी व्यवहार वालों को भगवान शिव का प्रकोप विश्व पर भारी पड़ेगा ही। सिगरेट पीने वाले व्यक्ति, नशा करने वाले व्यक्यिों पर इन ग्रहों का असर विशेष होगा। आद्र्रा नक्षत्र नमी वाले स्थान एवं गंदी-फंग्स हरियाली वालें स्थानों पर ज्यादा सक्रिय माना गया है। आद्र्रा का दूसरा मतलब आद्रता यानि नमी से भी है, अर्थात् अभी के समय में एसी में रहने वाले लोग ज्यादा प्रभावित होंगे। एक साधारण उदाहरण है जब आमजन किसी एसी वाले रूम में जाते हैं तो काफी सर्दी लगने का अहसास होता है। यानि हमारा फेफड़ा प्रतिकार करने लगता है। आंशिक रूप से कह सकते है कि ये अमीर लोगों की बीमारी है। भारत में करोना बहुत ज्यादा नुकसान नहीं कर पायेगा, हाँ फैलाने का कार्य अवश्य कर रहा है। फंग्स वाला स्थान में राहु के लिए प्रिय माना गया है। कोरोना मिथुन राशि का नाम है। अपने राशि के अनुसार कारोना नाम भी पा लिया। आद्र्रा नक्षत्र, मिथुन राशि एवं इनके स्वामी ग्रहें राहु एवं बुध संचार माध्यम का कारक ग्रह भी है। अतः इसकी बीमारी भी बहुत तेजी के साथ फैलाती है अर्थात् संक्रमण तेजी से बढ़ाता है। अतः इस महामारी से बचने के लिए एकांतवाश अतिआवश्यक है। जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु, बुध, शनि, केतु चल रहे हों और कुंडली में मारक जगह पर इन ग्रहों का उपस्थिति हो और सुरक्षा देनेवाले ग्रह जैसे वृहस्पति, चंद्रमा, शुक्र, बुध, मंगल अच्छे नहीं हो या कुंडली में अच्छे जगह पर स्थित नहीं हों, तो ज्यादा सुरक्षित रहना आवश्यक है। विकिपिडिया के अनुसार जब जब विश्व में हुई भयानक महामारी में मिथुन राशि का पीड़ित होना, उसमें भी राहु, केतु, शनि का आद्र्रा नक्षत्रों में प्रवेश करना प्रमुख कारणों में से एक है। साथ में शनि का नीच, ऊॅच, मकर या कुंभ राशियों में रहना करीब करीब दो दर्जन से अधिक विश्व स्तरीय महामारी की घटनाओं को जन्म दिया है। यहां तक प्रथम विश्वयुद्ध एवं द्वितीय विश्वयुद्ध में भी मिथुन राशि में खासकर आद्र्रा में शनि, प्लेटो, राहु का भ्रमण देखा गया है। द्वितीय विश्वयुद्ध में जब जापान में परमाणु बम गिराया गया था, 6,9 अगस्त,1945 को उसमें भी आज की ही नक्षत्रीय स्थिति यानि राहु मिथुन के आद्र्रा नक्षत्र में भ्रमण कर रहा था। शनि भी मिथुन राशि में ही थे। उस समय भी दम घुटने एवं जलने ही ज्यादा लोग मारे गये थे। आद्र्रा के साथ साथ राहु का एक विशेषता यह है कि यह दूसरों का जान जोखिम में डाल देते हैं। कमजोर प्रभाव में या मारक स्थित राहु का प्रभाव अनजाने में दूसरों के लिए खतरनाक भी हो सकता है। अतः अलग-अलग रहने से राहु का प्रभाव कम होगा। अर्थात् राहु की ज्यादती से बचने हेतु शनि के संरक्षण में जाये अर्थात् शनि एकांत प्रिय ग्रह है। ऐसे भी शनि सौर्यमंडल के अंतिम ग्रह है और 30 सालों में एक चक्कर सूर्य का लगाता है। भगवान शिवजी भी कैलाश पर्वत पर दुनिया से अगल ही रहते है। अतः अलग रहना प्रथम उपचार आद्र्रा के राहु को शांत करने के लिए जरूरी है। अतः प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदीजी का देशहित में संबोधन काफी सारगर्भित एवं ब्रह्मवाक् के समान हैं। राहु एवं शनि ग्रहों एवं आद्र्रा नक्षत्रों एवं पुष्य नक्षत्रों के दुष्ट प्रभावों से दूरी रखने के लिए स्वयं को एकांतवाश में रहना अति आवश्यक है। ये सिर्फ सुरक्षात्मक कार्य ही नहीं परन्तु उपाय भी है। आद्र्रा के राहु को अग्नि से भय है। अभी देश में नवरात्र पर्व भी है। अतः देवी कवच, 108 मां का नाम एवं दुर्गा स्तोत्रम का पाठ भी कल्याणकारी होगा। अतः घर में आरती, कपूर पूजा एवं धूप जरूर जलायें। खाना भी गर्म खाना अति आवश्यक है। धूप में भी रहें। श्वसन क्षेत्र यथा गला-छाती को मजबूत करने हेतु प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी अवश्य करें। शरीर में आद्रता को दूर करने वाले हर्बल जैसे तुलसी, गिलोई, मुलेठी, आंवला, काली मिर्च अन्य प्रामाणिक हर्बल लेना कोरोना से लड़ने में महत्वपूर्ण प्रभाव दिखायेगा। इस विपदा समय में नमी को कम करने हेतु गर्म पानी में स्नान करें, गर्म पानी पीयें, या स्नान कम से कम करें। नशायुक्त आदत से दूर रहें। ननभेज खाना से भी दूर रहें । क्योंकि राहु ग्रह आद्र्रा नक्षत्र में खासकर पक्षी का भोजन से ज्यादा तांडव पूरी दुनिया में मचा रहा है। मेरे विचार से शरीर में नमी को दूर करने वाले हर्बल, होमियोपैथ या ऐलोपैथ दवाओं का सेवन करें। सरकार डाक्टरों की कमिटि बनाये जिससे लोगों में नमी को दूर करने की उपयुक्त दवा बतायें जिससे लोगों को सुरक्षित रखा जा सके। आद्र्रा नक्षत्र के राशि मिथुन का स्वामी बुध है। अतः बुध ग्रह को मजबूत करना अतिआवश्क है। पन्ना, हरा तुरमुली, जेड आदि चाँदी या सोने में कनिष्ठका में बुधवार को धारण करें। माँ दुर्गा की पूजा, शिव चालीसा या शिव तांडव स्तोत्र काफी लाभकारी होगा। भगवान शिव को श्वेतचंदन लगायें। धृतदीपक से पूजा करें। ताम्बूल चढ़ायें। आद्र्रा नक्षत्र का योनि कुत्ता है। अतः कुत्तों को दूर से खाना देना भी लाभकारी है।

5 Comments

Sarita Devi

April 08, 2020 AT 9:15 PM

Your prediction has always helped us in all walks of life. Guru ji please keep guiding us in the same manner in future also. One again thanks for you vigilance nature, hard work and detailed study of planets.

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