By Dr. Acharya P Sanjay
जय श्री राधे ❤️
चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण का प्रभाव धार्मिक और अधार्मिक लोगों को भी ज्यादा प्रभावित करते हैं। ग्रहण काल का सीधा मतलब यह भी है कि मनुष्यों में रेक्टिफिकेशन के लिए ही आते हैं चाहे वह युद्ध से जस्टिस दें या फिर बीमारी, कानूनी लफड़ा, प्रतिष्ठा हनन, सत्ता से बेदखल और दुख से। महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण सूर्य ग्रहण काल में ही कौरवों को नेस्तनाबूद करवा दिए। सुबह शिव स्त्रोत या चंडी पाठ या हनुमान चालीसा पढ़ कर दोपहर में मांस और मदिरा खाने के बाद और फिर अनैतिक कार्यों में या दोहन कार्यों में लिप्त रहने से ग्रहण काल में पूजा-पाठ, दान दक्षिणा भी काम नहीं करते। धर्म से ओतप्रोत राष्ट्रहित और मानव हित, न्याय करने वाले संयम व्यक्तियों को चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते ऐसा श्री कृष्ण ने महाभारत में दिखाए हैं। ग्रहण का प्रभाव मानसिक और आत्मिक क्षेत्रों पर प्रभाव तो पड़ता ही है। अगर हम अपने मानसिक अहम् और आर्थिक अहम् को नियंत्रित कर पाए तो भी ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि जब भी ग्रहण काल का समय होता है तो चंद्रमा और सूर्य महामाया के शुद्र सेवक राहु-केतु के अक्ष पर ही यह दोनों ग्रह रहते हैं। माया के प्रभाव से व्यक्ति असूरी प्रभाव को ज्यादा ग्रहण करने लगते हैं, जो इमानदार धार्मिक नहीं होते उसमें फंसते चले जाते हैं। सबसे उत्तम उपाय है कि इस ग्रहण काल में प्रभु श्री कृष्ण की भक्ति का स्मरण करें चंद्रमा मंत्रों का जाप करें और कोई शुभ राष्ट्रहित / मानव हित कार्य करने का संकल्प लें।
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Sarita Devi
April 08, 2020 AT 9:15 PM
Your prediction has always helped us in all walks of life. Guru ji please keep guiding us in the same manner in future also. One again thanks for you vigilance nature, hard work and detailed study of planets.